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This stotram is in सरल दॆवनागरी(हिंन्दी). View this in
शुद्ध दॆवनागरी (Samskritam), with appropriate anuswaras marked.
श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्
‖ अथ श्री दुर्गा सहस्रनामस्तोत्रम् ‖
नारद उवाच -
कुमार गुणगंभीर देवसेनापते प्रभो |
सर्वाभीष्टप्रदं पुंसां सर्वपापप्रणाशनम् ‖ 1‖
गुह्याद्गुह्यतरं स्तोत्रं भक्तिवर्धकमंजसा |
मंगलं ग्रहपीडादिशांतिदं वक्तुमर्हसि ‖ 2‖
स्कंद उवाच -
शृणु नारद देवर्षे लोकानुग्रहकाम्यया |
यत्पृच्छसि परं पुण्यं तत्ते वक्ष्यामि कौतुकात् ‖ 3‖
माता मे लोकजननी हिमवन्नगसत्तमात् |
मेनायां ब्रह्मवादिन्यां प्रादुर्भूता हरप्रिया ‖ 4‖
महता तपसाऽऽराध्य शंकरं लोकशंकरम् |
स्वमेव वल्लभं भेजे कलेव हि कलानिधिम् ‖ 5‖
नगानामधिराजस्तु हिमवान् विरहातुरः |
स्वसुतायाः परिक्षीणे वसिष्ठेन प्रबोधितः ‖ 6‖
त्रिलोकजननी सेयं प्रसन्ना त्वयि पुण्यतः |
प्रादुर्भूता सुतात्वेन तद्वियोगं शुभं त्यज ‖ 7‖
बहुरूपा च दुर्गेयं बहुनाम्नी सनातनी |
सनातनस्य जाया सा पुत्रीमोहं त्यजाधुना ‖ 8‖
इति प्रबोधितः शैलः तां तुष्टाव परां शिवाम् |
तदा प्रसन्ना सा दुर्गा पितरं प्राह नंदिनी ‖ 9‖
मत्प्रसादात्परं स्तोत्रं हृदये प्रतिभासताम् |
तेन नाम्नां सहस्रेण पूजयन् काममाप्नुहि ‖ 10‖
इत्युक्त्वांतर्हितायां तु हृदये स्फुरितं तदा |
नाम्नां सहस्रं दुर्गायाः पृच्छते मे यदुक्तवान् ‖ 11‖
मंगलानां मंगलं तद् दुर्गानाम सहस्रकम् |
सर्वाभीष्टप्रदां पुंसां ब्रवीम्यखिलकामदम् ‖ 12‖
दुर्गादेवी समाख्याता हिमवानृषिरुच्यते |
छंदोनुष्टुप् जपो देव्याः प्रीतये क्रियते सदा ‖ 13‖
अस्य श्रीदुर्गास्तोत्रमहामंत्रस्य | हिमवान् ऋषिः | अनुष्टुप् छंदः |
दुर्गाभगवती देवता | श्रीदुर्गाप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः | |
श्रीभगवत्यै दुर्गायै नमः |
देवीध्यानम्
ॐ ह्रीं कालाभ्राभां कटाक्षैररिकुलभयदां मौलिबद्धेंदुरेखां
शंखं चक्रं कृपाणं त्रिशिखमपि करैरुद्वहंतीं त्रिनेत्राम् |
सिंहस्कंधाधिरूढां त्रिभुवनमखिलं तेजसा पूरयंतीं
ध्यायेद् दुर्गां जयाख्यां त्रिदशपरिवृतां सेवितां सिद्धिकामैः ‖
श्री जयदुर्गायै नमः |
ॐ शिवाथोमा रमा शक्तिरनंता निष्कलाऽमला |
शांता माहेश्वरी नित्या शाश्वता परमा क्षमा ‖ 1‖
अचिंत्या केवलानंता शिवात्मा परमात्मिका |
अनादिरव्यया शुद्धा सर्वज्ञा सर्वगाऽचला ‖ 2‖
एकानेकविभागस्था मायातीता सुनिर्मला |
महामाहेश्वरी सत्या महादेवी निरंजना ‖ 3‖
काष्ठा सर्वांतरस्थाऽपि चिच्छक्तिश्चात्रिलालिता |
सर्वा सर्वात्मिका विश्वा ज्योतीरूपाक्षरामृता ‖ 4‖
शांता प्रतिष्ठा सर्वेशा निवृत्तिरमृतप्रदा |
व्योममूर्तिर्व्योमसंस्था व्योमधाराऽच्युताऽतुला ‖ 5‖
अनादिनिधनाऽमोघा कारणात्मकलाकुला |
ऋतुप्रथमजाऽनाभिरमृतात्मसमाश्रया ‖ 6‖
प्राणेश्वरप्रिया नम्या महामहिषघातिनी |
प्राणेश्वरी प्राणरूपा प्रधानपुरुषेश्वरी ‖ 7‖
सर्वशक्तिकलाऽकामा महिषेष्टविनाशिनी |
सर्वकार्यनियंत्री च सर्वभूतेश्वरेश्वरी ‖ 8‖
अंगदादिधरा चैव तथा मुकुटधारिणी |
सनातनी महानंदाऽऽकाशयोनिस्तथेच्यते ‖ 9‖
चित्प्रकाशस्वरूपा च महायोगेश्वरेश्वरी |
महामाया सदुष्पारा मूलप्रकृतिरीशिका ‖ 10‖
संसारयोनिः सकला सर्वशक्तिसमुद्भवा |
संसारपारा दुर्वारा दुर्निरीक्षा दुरासदा ‖ 11‖
प्राणशक्तिश्च सेव्या च योगिनी परमाकला |
महाविभूतिर्दुर्दर्शा मूलप्रकृतिसंभवा ‖ 12‖
अनाद्यनंतविभवा परार्था पुरुषारणिः |
सर्गस्थित्यंतकृच्चैव सुदुर्वाच्या दुरत्यया ‖ 13‖
शब्दगम्या शब्दमाया शब्दाख्यानंदविग्रहा |
प्रधानपुरुषातीता प्रधानपुरुषात्मिका ‖ 14‖
पुराणी चिन्मया पुंसामिष्टदा पुष्टिरूपिणी |
पूतांतरस्था कूटस्था महापुरुषसंज्ञिता ‖ 15‖
जन्ममृत्युजरातीता सर्वशक्तिस्वरूपिणी |
वांछाप्रदाऽनवच्छिन्नप्रधानानुप्रवेशिनी ‖ 16‖
क्षेत्रज्ञाऽचिंत्यशक्तिस्तु प्रोच्यतेऽव्यक्तलक्षणा |
मलापवर्जिताऽऽनादिमाया त्रितयतत्त्विका ‖ 17‖
प्रीतिश्च प्रकृतिश्चैव गुहावासा तथोच्यते |
महामाया नगोत्पन्ना तामसी च ध्रुवा तथा ‖ 18‖
व्यक्ताऽव्यक्तात्मिका कृष्णा रक्ता शुक्ला ह्यकारणा |
प्रोच्यते कार्यजननी नित्यप्रसवधर्मिणी ‖ 19‖
सर्गप्रलयमुक्ता च सृष्टिस्थित्यंतधर्मिणी |
ब्रह्मगर्भा चतुर्विंशस्वरूपा पद्मवासिनी ‖ 20‖
अच्युताह्लादिका विद्युद्ब्रह्मयोनिर्महालया |
महालक्ष्मी समुद्भावभावितात्मामहेश्वरी ‖ 21‖
महाविमानमध्यस्था महानिद्रा सकौतुका |
सर्वार्थधारिणी सूक्ष्मा ह्यविद्धा परमार्थदा ‖ 22‖
अनंतरूपाऽनंतार्था तथा पुरुषमोहिनी |
अनेकानेकहस्ता च कालत्रयविवर्जिता ‖ 23‖
ब्रह्मजन्मा हरप्रीता मतिर्ब्रह्मशिवात्मिका |
ब्रह्मेशविष्णुसंपूज्या ब्रह्माख्या ब्रह्मसंज्ञिता ‖ 24‖
व्यक्ता प्रथमजा ब्राह्मी महारात्रीः प्रकीर्तिता |
ज्ञानस्वरूपा वैराग्यरूपा ह्यैश्वर्यरूपिणी ‖ 25‖
धर्मात्मिका ब्रह्ममूर्तिः प्रतिश्रुतपुमर्थिका |
अपांयोनिः स्वयंभूता मानसी तत्त्वसंभवा ‖ 26‖
ईश्वरस्य प्रिया प्रोक्ता शंकरार्धशरीरिणी |
भवानी चैव रुद्राणी महालक्ष्मीस्तथाऽंबिका ‖ 27‖
महेश्वरसमुत्पन्ना भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी |
सर्वेश्वरी सर्ववंद्या नित्यमुक्ता सुमानसा ‖ 28‖
महेंद्रोपेंद्रनमिता शांकरीशानुवर्तिनी |
ईश्वरार्धासनगता माहेश्वरपतिव्रता ‖ 29‖
संसारशोषिणी चैव पार्वती हिमवत्सुता |
परमानंददात्री च गुणाग्र्या योगदा तथा ‖ 30‖
ज्ञानमूर्तिश्च सावित्री लक्ष्मीः श्रीः कमला तथा |
अनंतगुणगंभीरा ह्युरोनीलमणिप्रभा ‖ 31‖
सरोजनिलया गंगा योगिध्येयाऽसुरार्दिनी |
सरस्वती सर्वविद्या जगज्ज्येष्ठा सुमंगला ‖ 32‖
वाग्देवी वरदा वर्या कीर्तिः सर्वार्थसाधिका |
वागीश्वरी ब्रह्मविद्या महाविद्या सुशोभना ‖ 33‖
ग्राह्यविद्या वेदविद्या धर्मविद्याऽऽत्मभाविता |
स्वाहा विश्वंभरा सिद्धिः साध्या मेधा धृतिः कृतिः ‖ 34‖
सुनीतिः संकृतिश्चैव कीर्तिता नरवाहिनी |
पूजाविभाविनी सौम्या भोग्यभाग् भोगदायिनी ‖ 35‖
शोभावती शांकरी च लोला मालाविभूषिता |
परमेष्ठिप्रिया चैव त्रिलोकीसुंदरी माता ‖ 36‖
नंदा संध्या कामधात्री महादेवी सुसात्त्विका |
महामहिषदर्पघ्नी पद्ममालाऽघहारिणी ‖ 37‖
विचित्रमुकुटा रामा कामदाता प्रकीर्तिता |
पितांबरधरा दिव्यविभूषण विभूषिता ‖ 38‖
दिव्याख्या सोमवदना जगत्संसृष्टिवर्जिता |
निर्यंत्रा यंत्रवाहस्था नंदिनी रुद्रकालिका ‖ 39‖
आदित्यवर्णा कौमारी मयूरवरवाहिनी |
पद्मासनगता गौरी महाकाली सुरार्चिता ‖ 40‖
अदितिर्नियता रौद्री पद्मगर्भा विवाहना |
विरूपाक्षा केशिवाहा गुहापुरनिवासिनी ‖ 41‖
महाफलाऽनवद्यांगी कामरूपा सरिद्वरा |
भास्वद्रूपा मुक्तिदात्री प्रणतक्लेशभंजना ‖ 42‖
कौशिकी गोमिनी रात्रिस्त्रिदशारिविनाशिनी |
बहुरूपा सुरूपा च विरूपा रूपवर्जिता ‖ 43‖
भक्तार्तिशमना भव्या भवभावविनाशिनी |
सर्वज्ञानपरीतांगी सर्वासुरविमर्दिका ‖ 44‖
पिकस्वनी सामगीता भवांकनिलया प्रिया |
दीक्षा विद्याधरी दीप्ता महेंद्राहितपातिनी ‖ 45‖
सर्वदेवमया दक्षा समुद्रांतरवासिनी |
अकलंका निराधारा नित्यसिद्धा निरामया ‖ 46‖
कामधेनुबृहद्गर्भा धीमती मौननाशिनी |
निःसंकल्पा निरातंका विनया विनयप्रदा ‖ 47‖
ज्वालामाला सहस्राढ्या देवदेवी मनोमया |
सुभगा सुविशुद्धा च वसुदेवसमुद्भवा ‖ 48‖
महेंद्रोपेंद्रभगिनी भक्तिगम्या परावरा |
ज्ञानज्ञेया परातीता वेदांतविषया मतिः ‖ 49‖
दक्षिणा दाहिका दह्या सर्वभूतहृदिस्थिता |
योगमाया विभागज्ञा महामोहा गरीयसी ‖ 50‖
संध्या सर्वसमुद्भूता ब्रह्मवृक्षाश्रियादितिः |
बीजांकुरसमुद्भूता महाशक्तिर्महामतिः ‖ 51‖
ख्यातिः प्रज्ञावती संज्ञा महाभोगींद्रशायिनी |
हींकृतिः शंकरी शांतिर्गंधर्वगणसेविता ‖ 52‖
वैश्वानरी महाशूला देवसेना भवप्रिया |
महारात्री परानंदा शची दुःस्वप्ननाशिनी ‖ 53‖
ईड्या जया जगद्धात्री दुर्विज्ञेया सुरूपिणी |
गुहांबिका गणोत्पन्ना महापीठा मरुत्सुता ‖ 54‖
हव्यवाहा भवानंदा जगद्योनिः प्रकीर्तिता |
जगन्माता जगन्मृत्युर्जरातीता च बुद्धिदा ‖ 55‖
सिद्धिदात्री रत्नगर्भा रत्नगर्भाश्रया परा |
दैत्यहंत्री स्वेष्टदात्री मंगलैकसुविग्रहा ‖ 56‖
पुरुषांतर्गता चैव समाधिस्था तपस्विनी |
दिविस्थिता त्रिणेत्रा च सर्वेंद्रियमनाधृतिः ‖ 57‖
सर्वभूतहृदिस्था च तथा संसारतारिणी |
वेद्या ब्रह्मविवेद्या च महालीला प्रकीर्तिता ‖ 58‖
ब्राह्मणिबृहती ब्राह्मी ब्रह्मभूताऽघहारिणी |
हिरण्मयी महादात्री संसारपरिवर्तिका ‖ 59‖
सुमालिनी सुरूपा च भास्विनी धारिणी तथा |
उन्मूलिनी सर्वसभा सर्वप्रत्ययसाक्षिणी ‖ 60‖
सुसौम्या चंद्रवदना तांडवासक्तमानसा |
सत्त्वशुद्धिकरी शुद्धा मलत्रयविनाशिनी ‖ 61‖
जगत्त्त्रयी जगन्मूर्तिस्त्रिमूर्तिरमृताश्रया |
विमानस्था विशोका च शोकनाशिन्यनाहता ‖ 62‖
हेमकुंडलिनी काली पद्मवासा सनातनी |
सदाकीर्तिः सर्वभूतशया देवी सतांप्रिया ‖ 63‖
ब्रह्ममूर्तिकला चैव कृत्तिका कंजमालिनी |
व्योमकेशा क्रियाशक्तिरिच्छाशक्तिः परागतिः ‖ 64‖
क्षोभिका खंडिकाभेद्या भेदाभेदविवर्जिता |
अभिन्ना भिन्नसंस्थाना वशिनी वंशधारिणी ‖ 65‖
गुह्यशक्तिर्गुह्यतत्त्वा सर्वदा सर्वतोमुखी |
भगिनी च निराधारा निराहारा प्रकीर्तिता ‖ 66‖
निरंकुशपदोद्भूता चक्रहस्ता विशोधिका |
स्रग्विणी पद्मसंभेदकारिणी परिकीर्तिता ‖ 67‖
परावरविधानज्ञा महापुरुषपूर्वजा |
परावरज्ञा विद्या च विद्युज्जिह्वा जिताश्रया ‖ 68‖
विद्यामयी सहस्राक्षी सहस्रवदनात्मजा |
सहस्ररश्मिःसत्वस्था महेश्वरपदाश्रया ‖ 69‖
ज्वालिनी सन्मया व्याप्ता चिन्मया पद्मभेदिका |
महाश्रया महामंत्रा महादेवमनोरमा ‖ 70‖
व्योमलक्ष्मीः सिंहरथा चेकितानाऽमितप्रभा |
विश्वेश्वरी भगवती सकला कालहारिणी ‖ 71‖
सर्ववेद्या सर्वभद्रा गुह्या दूढा गुहारणी |
प्रलया योगधात्री च गंगा विश्वेश्वरी तथा ‖ 72‖
कामदा कनका कांता कंजगर्भप्रभा तथा |
पुण्यदा कालकेशा च भोक्त्त्री पुष्करिणी तथा ‖ 73‖
सुरेश्वरी भूतिदात्री भूतिभूषा प्रकीर्तिता |
पंचब्रह्मसमुत्पन्ना परमार्थाऽर्थविग्रहा ‖ 74‖
वर्णोदया भानुमूर्तिर्वाग्विज्ञेया मनोजवा |
मनोहरा महोरस्का तामसी वेदरूपिणी ‖ 75‖
वेदशक्तिर्वेदमाता वेदविद्याप्रकाशिनी |
योगेश्वरेश्वरी माया महाशक्तिर्महामयी ‖ 76‖
विश्वांतःस्था वियन्मूर्तिर्भार्गवी सुरसुंदरी |
सुरभिर्नंदिनी विद्या नंदगोपतनूद्भवा ‖ 77‖
भारती परमानंदा परावरविभेदिका |
सर्वप्रहरणोपेता काम्या कामेश्वरेश्वरी ‖ 78‖
अनंतानंदविभवा हृल्लेखा कनकप्रभा |
कूष्मांडा धनरत्नाढ्या सुगंधा गंधदायिनी ‖ 79‖
त्रिविक्रमपदोद्भूता चतुरास्या शिवोदया |
सुदुर्लभा धनाध्यक्षा धन्या पिंगललोचना ‖ 80‖
शांता प्रभास्वरूपा च पंकजायतलोचना |
इंद्राक्षी हृदयांतःस्था शिवा माता च सत्क्रिया ‖ 81‖
गिरिजा च सुगूढा च नित्यपुष्टा निरंतरा |
दुर्गा कात्यायनी चंडी चंद्रिका कांतविग्रहा ‖ 82‖
हिरण्यवर्णा जगती जगद्यंत्रप्रवर्तिका |
मंदराद्रिनिवासा च शारदा स्वर्णमालिनी ‖ 83‖
रत्नमाला रत्नगर्भा व्युष्टिर्विश्वप्रमाथिनी |
पद्मानंदा पद्मनिभा नित्यपुष्टा कृतोद्भवा ‖ 84‖
नारायणी दुष्टशिक्षा सूर्यमाता वृषप्रिया |
महेंद्रभगिनी सत्या सत्यभाषा सुकोमला ‖ 85‖
वामा च पंचतपसां वरदात्री प्रकीर्तिता |
वाच्यवर्णेश्वरी विद्या दुर्जया दुरतिक्रमा ‖ 86‖
कालरात्रिर्महावेगा वीरभद्रप्रिया हिता |
भद्रकाली जगन्माता भक्तानां भद्रदायिनी ‖ 87‖
कराला पिंगलाकारा कामभेत्त्री महामनाः |
यशस्विनी यशोदा च षडध्वपरिवर्तिका ‖ 88‖
शंखिनी पद्मिनी संख्या सांख्ययोगप्रवर्तिका |
चैत्रादिर्वत्सरारूढा जगत्संपूरणींद्रजा ‖ 89‖
शुंभघ्नी खेचराराध्या कंबुग्रीवा बलीडिता |
खगारूढा महैश्वर्या सुपद्मनिलया तथा ‖ 90‖
विरक्ता गरुडस्था च जगतीहृद्गुहाश्रया |
शुंभादिमथना भक्तहृद्गह्वरनिवासिनी ‖ 91‖
जगत्त्त्रयारणी सिद्धसंकल्पा कामदा तथा |
सर्वविज्ञानदात्री चानल्पकल्मषहारिणी ‖ 92‖
सकलोपनिषद्गम्या दुष्टदुष्प्रेक्ष्यसत्तमा |
सद्वृता लोकसंव्याप्ता तुष्टिः पुष्टिः क्रियावती ‖ 93‖
विश्वामरेश्वरी चैव भुक्तिमुक्तिप्रदायिनी |
शिवाधृता लोहिताक्षी सर्पमालाविभूषणा ‖ 94‖
निरानंदा त्रिशूलासिधनुर्बाणादिधारिणी |
अशेषध्येयमूर्तिश्च देवतानां च देवता ‖ 95‖
वरांबिका गिरेः पुत्री निशुंभविनिपातिनी |
सुवर्णा स्वर्णलसिताऽनंतवर्णा सदाधृता ‖ 96‖
शांकरी शांतहृदया अहोरात्रविधायिका |
विश्वगोप्त्री गूढरूपा गुणपूर्णा च गार्ग्यजा ‖ 97‖
गौरी शाकंभरी सत्यसंधा संध्यात्रयीधृता |
सर्वपापविनिर्मुक्ता सर्वबंधविवर्जिता ‖ 98‖
सांख्ययोगसमाख्याता अप्रमेया मुनीडिता |
विशुद्धसुकुलोद्भूता बिंदुनादसमादृता ‖ 99‖
शंभुवामांकगा चैव शशितुल्यनिभानना |
वनमालाविराजंती अनंतशयनादृता ‖ 100‖
नरनारायणोद्भूता नारसिंही प्रकीर्तिता |
दैत्यप्रमाथिनी शंखचक्रपद्मगदाधरा ‖ 101‖
संकर्षणसमुत्पन्ना अंबिका सज्जनाश्रया |
सुवृता सुंदरी चैव धर्मकामार्थदायिनी ‖ 102‖
मोक्षदा भक्तिनिलया पुराणपुरुषादृता |
महाविभूतिदाऽऽराध्या सरोजनिलयाऽसमा ‖ 103‖
अष्टादशभुजाऽनादिर्नीलोत्पलदलाक्षिणी |
सर्वशक्तिसमारूढा धर्माधर्मविवर्जिता ‖ 104‖
वैराग्यज्ञाननिरता निरालोका निरिंद्रिया |
विचित्रगहनाधारा शाश्वतस्थानवासिनी ‖ 105‖
ज्ञानेश्वरी पीतचेला वेदवेदांगपारगा |
मनस्विनी मन्युमाता महामन्युसमुद्भवा ‖ 106‖
अमन्युरमृतास्वादा पुरंदरपरिष्टुता |
अशोच्या भिन्नविषया हिरण्यरजतप्रिया ‖ 107‖
हिरण्यजननी भीमा हेमाभरणभूषिता |
विभ्राजमाना दुर्ज्ञेया ज्योतिष्टोमफलप्रदा ‖ 108‖
महानिद्रासमुत्पत्तिरनिद्रा सत्यदेवता |
दीर्घा ककुद्मिनी पिंगजटाधारा मनोज्ञधीः ‖ 109‖
महाश्रया रमोत्पन्ना तमःपारे प्रतिष्ठिता |
त्रितत्त्वमाता त्रिविधा सुसूक्ष्मा पद्मसंश्रया ‖ 110‖
शांत्यतीतकलाऽतीतविकारा श्वेतचेलिका |
चित्रमाया शिवज्ञानस्वरूपा दैत्यमाथिनी ‖ 111‖
काश्यपी कालसर्पाभवेणिका शास्त्रयोनिका |
त्रयीमूर्तिः क्रियामूर्तिश्चतुर्वर्गा च दर्शिनी ‖ 112‖
नारायणी नरोत्पन्ना कौमुदी कांतिधारिणी |
कौशिकी ललिता लीला परावरविभाविनी ‖ 113‖
वरेण्याऽद्भुतमहात्म्या वडवा वामलोचना |
सुभद्रा चेतनाराध्या शांतिदा शांतिवर्धिनी ‖ 114‖
जयादिशक्तिजननी शक्तिचक्रप्रवर्तिका |
त्रिशक्तिजननी जन्या षट्सूत्रपरिवर्णिता ‖ 115‖
सुधौतकर्मणाऽऽराध्या युगांतदहनात्मिका |
संकर्षिणी जगद्धात्री कामयोनिः किरीटिनी ‖ 116‖
ऐंद्री त्रैलोक्यनमिता वैष्णवी परमेश्वरी |
प्रद्युम्नजननी बिंबसमोष्ठी पद्मलोचना ‖ 117‖
मदोत्कटा हंसगतिः प्रचंडा चंडविक्रमा |
वृषाधीशा परात्मा च विंध्या पर्वतवासिनी ‖ 118‖
हिमवन्मेरुनिलया कैलासपुरवासिनी |
चाणूरहंत्री नीतिज्ञा कामरूपा त्रयीतनुः ‖ 119‖
व्रतस्नाता धर्मशीला सिंहासननिवासिनी |
वीरभद्रादृता वीरा महाकालसमुद्भवा ‖ 120‖
विद्याधरार्चिता सिद्धसाध्याराधितपादुका |
श्रद्धात्मिका पावनी च मोहिनी अचलात्मिका ‖ 121‖
महाद्भुता वारिजाक्षी सिंहवाहनगामिनी |
मनीषिणी सुधावाणी वीणावादनतत्परा ‖ 122‖
श्वेतवाहनिषेव्या च लसन्मतिररुंधती |
हिरण्याक्षी तथा चैव महानंदप्रदायिनी ‖ 123‖
वसुप्रभा सुमाल्याप्तकंधरा पंकजानना |
परावरा वरारोहा सहस्रनयनार्चिता ‖ 124‖
श्रीरूपा श्रीमती श्रेष्ठा शिवनाम्नी शिवप्रिया |
श्रीप्रदा श्रितकल्याणा श्रीधरार्धशरीरिणी ‖ 125‖
श्रीकलाऽनंतदृष्टिश्च ह्यक्षुद्रारातिसूदनी |
रक्तबीजनिहंत्री च दैत्यसंगविमर्दिनी ‖ 126‖
सिंहारूढा सिंहिकास्या दैत्यशोणितपायिनी |
सुकीर्तिसहिताच्छिन्नसंशया रसवेदिनी ‖ 127‖
गुणाभिरामा नागारिवाहना निर्जरार्चिता |
नित्योदिता स्वयंज्योतिः स्वर्णकाया प्रकीर्तिता ‖ 128‖
वज्रदंडांकिता चैव तथामृतसंजीविनी |
वज्रच्छन्ना देवदेवी वरवज्रस्वविग्रहा ‖ 129‖
मांगल्या मंगलात्मा च मालिनी माल्यधारिणी |
गंधर्वी तरुणी चांद्री खड्गायुधधरा तथा ‖ 130‖
सौदामिनी प्रजानंदा तथा प्रोक्ता भृगूद्भवा |
एकानंगा च शास्त्रार्थकुशला धर्मचारिणी ‖ 131‖
धर्मसर्वस्ववाहा च धर्माधर्मविनिश्चया |
धर्मशक्तिर्धर्ममया धार्मिकानां शिवप्रदा ‖ 132‖
विधर्मा विश्वधर्मज्ञा धर्मार्थांतरविग्रहा |
धर्मवर्ष्मा धर्मपूर्वा धर्मपारंगतांतरा ‖ 133‖
धर्मोपदेष्ट्री धर्मात्मा धर्मगम्या धराधरा |
कपालिनी शाकलिनी कलाकलितविग्रहा ‖ 134‖
सर्वशक्तिविमुक्ता च कर्णिकारधराऽक्षरा|
कंसप्राणहरा चैव युगधर्मधरा तथा ‖ 135‖
युगप्रवर्तिका प्रोक्ता त्रिसंध्या ध्येयविग्रहा |
स्वर्गापवर्गदात्री च तथा प्रत्यक्षदेवता ‖ 136‖
आदित्या दिव्यगंधा च दिवाकरनिभप्रभा |
पद्मासनगता प्रोक्ता खड्गबाणशरासना ‖ 137‖
शिष्टा विशिष्टा शिष्टेष्टा शिष्टश्रेष्ठप्रपूजिता |
शतरूपा शतावर्ता वितता रासमोदिनी ‖ 138‖
सूर्येंदुनेत्रा प्रद्युम्नजननी सुष्ठुमायिनी |
सूर्यांतरस्थिता चैव सत्प्रतिष्ठतविग्रहा ‖ 139‖
निवृत्ता प्रोच्यते ज्ञानपारगा पर्वतात्मजा |
कात्यायनी चंडिका च चंडी हैमवती तथा ‖ 140‖
दाक्षायणी सती चैव भवानी सर्वमंगला |
धूम्रलोचनहंत्री च चंडमुंडविनाशिनी ‖ 141‖
योगनिद्रा योगभद्रा समुद्रतनया तथा |
देवप्रियंकरी शुद्धा भक्तभक्तिप्रवर्धिनी ‖ 142‖
त्रिणेत्रा चंद्रमुकुटा प्रमथार्चितपादुका |
अर्जुनाभीष्टदात्री च पांडवप्रियकारिणी ‖ 143‖
कुमारलालनासक्ता हरबाहूपधानिका |
विघ्नेशजननी भक्तविघ्नस्तोमप्रहारिणी ‖ 144‖
सुस्मितेंदुमुखी नम्या जयाप्रियसखी तथा |
अनादिनिधना प्रेष्ठा चित्रमाल्यानुलेपना ‖ 145‖
कोटिचंद्रप्रतीकाशा कूटजालप्रमाथिनी |
कृत्याप्रहारिणी चैव मारणोच्चाटनी तथा ‖ 146‖
सुरासुरप्रवंद्यांघ्रिर्मोहघ्नी ज्ञानदायिनी |
षड्वैरिनिग्रहकरी वैरिविद्राविणी तथा ‖ 147‖
भूतसेव्या भूतदात्री भूतपीडाविमर्दिका |
नारदस्तुतचारित्रा वरदेशा वरप्रदा ‖ 148‖
वामदेवस्तुता चैव कामदा सोमशेखरा |
दिक्पालसेविता भव्या भामिनी भावदायिनी ‖ 149‖
स्त्रीसौभाग्यप्रदात्री च भोगदा रोगनाशिनी |
व्योमगा भूमिगा चैव मुनिपूज्यपदांबुजा |
वनदुर्गा च दुर्बोधा महादुर्गा प्रकीर्तिता ‖ 150‖
फलश्रुतिः
इतीदं कीर्तिदं भद्र दुर्गानामसहस्रकम् |
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं तस्य लक्ष्मीः स्थिरा भवेत् ‖ 1‖
ग्रहभूतपिशाचादिपीडा नश्यत्यसंशयम् |
बालग्रहादिपीडायाः शांतिर्भवति कीर्तनात् ‖ 2‖
मारिकादिमहारोगे पठतां सौख्यदं नृणाम् |
व्यवहारे च जयदं शत्रुबाधानिवारकम् ‖ 3‖
दंपत्योः कलहे प्राप्ते मिथः प्रेमाभिवर्धकम् |
आयुरारोग्यदं पुंसां सर्वसंपत्प्रदायकम् ‖ 4‖
विद्याभिवर्धकं नित्यं पठतामर्थसाधकम् |
शुभदं शुभकार्येषु पठतां शृणुतामपि ‖ 5‖
यः पूजयति दुर्गां तां दुर्गानामसहस्रकैः |
पुष्पैः कुंकुमसम्मिश्रैः स तु यत्कांक्षते हृदि ‖ 6‖
तत्सर्वं समवाप्नोति नास्ति नास्त्यत्र संशयः |
यन्मुखे ध्रियते नित्यं दुर्गानामसहस्रकम् ‖ 7‖
किं तस्येतरमंत्रौघैः कार्यं धन्यतमस्य हि |
दुर्गानामसहस्रस्य पुस्तकं यद्गृहे भवेत् ‖ 8‖
न तत्र ग्रहभूतादिबाधा स्यान्मंगलास्पदे |
तद्गृहं पुण्यदं क्षेत्रं देवीसान्निध्यकारकम् ‖ 9‖
एतस्य स्तोत्रमुख्यस्य पाठकः श्रेष्ठमंत्रवित् |
देवतायाः प्रसादेन सर्वपूज्यः सुखी भवेत् ‖ 10‖
इत्येतन्नगराजेन कीर्तितं मुनिसत्तम |
गुह्याद्गुह्यतरं स्तोत्रं त्वयि स्नेहात् प्रकीर्तितम् ‖ 11‖
भक्ताय श्रद्धधानाय केवलं कीर्त्यतामिदम् |
हृदि धारय नित्यं त्वं देव्यनुग्रहसाधकम् ‖ 12‖ ‖
इति श्रीस्कांदपुराणे स्कंदनारदसंवादे दुर्गासहस्रनामस्तोत्रं संपूर्णम् ‖