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This stotram is in सरल दॆवनागरी(हिंन्दी). View this in शुद्ध दॆवनागरी (Samskritam), with appropriate anuswaras marked.

विष्णु सूक्तम्

ॐ विष्णोर्नुकं' वीर्या'णि प्रवो'चं यः पार्थि'वानि विमे राजाग्^म्'सि यो अस्क'भादुत्त'रग्^म् धस्थं' विचक्रमास्त्रेधोरु'गायो विष्णो'राट'मसि विष्णो''ः पृष्ठम'सि विष्णोः श्नप्त्रे''स्थो विष्णोस्स्यूर'सि विष्णो''र्ध्रुवम'सि वैष्णवम'सि विष्ण'वे त्वा ‖

तद'स्य प्रिभिपाथो' अश्याम् | नरो यत्र' देवो मद'ंति | रुक्रस्य स हि बंधु'रित्था | विष्णो'' दे प'मे मध्व उथ्सः' | प्रतद्विष्णु'स्स्तवते वीर्या'य | मृगो न भीमः कु'रो गि'रिष्ठाः | यस्योरुषु' त्रिषु विक्रम'णेषु | अधि'क्षंति भुव'नानि विश्वा'' | रो मात्र'या नुवा' वृधान | न ते' महित्वमन्व'श्नुवंति

भे ते' विद्मा रज'सी पृथिव्या विष्णो' देत्वम् | मस्य' विथ्से | विच'क्रमे पृथिवीमेताम् | क्षेत्रा' विष्णुर्मनु'षे दस्यन् | ध्रुवासो' अस्य कीयो जना'सः | रुक्षितिग्^म् सुजनि'माचकार | त्रिर्देवः पृ'थिवीमेताम् | विच'क्रमे तर्च'सं महित्वा | प्रविष्णु'रस्तु स्तवी'यान् | त्वेषग्ग् ह्य'स्य स्थवि'रस्य नाम' ‖

अतो' देवा अ'वंतु नोतो विष्णु'र्विचक्रमे | पृथिव्याः प्तधाम'भिः | दं विष्णुर्विच'क्रमे त्रेधा निद'धे दम् | समू'ढमस्य पाग्^म् सुरे ‖ त्रीणि' दा विच'क्रमे विष्णु'र्गोपा अदा''भ्यः | ततो धर्मा'णि धारयन्' | विष्णोः कर्मा'णि पश्य यतो'' व्रतानि' पस्पृशे | इंद्र'स्य युज्यः सखा'' ‖

तद्विष्णो''ः पमं दग्^म् सदा' पश्यंति सूरयः' | दिवीक्षुरात'तम् | तद्विप्रा'सो विन्यवो' जागृवाग्^म् स्समि'ंधते | विष्णोर्यत्प'मं दम् | पर्या''प्त्या अन'ंतराया सर्व'स्तोमोऽति रात्र उ'त्तम मह'र्भवति सर्वस्याप्त्यै सर्व'स्य जित्त्यै सर्व'मेव तेना''प्नोति सर्वं' जयति ‖

ॐ शांतिः शांतिः शांतिः' ‖