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This stotram is in शुद्ध दॆवनागरी (Samskritam). View this in
सरल दॆवनागरी (हिंन्दी), with simplified anuswaras for easy reading.
अन्नमय्य कीर्तन षोडश कलानिधिकि
षोडसकलानिधिकि षोडशोपचारमुलु
जाडतोड निच्चलुनु समर्पयामि ‖
अलरु विश्वात्मकुन कावाहन मिदॆ सर्व
निलयुन कासनमु नॆम्मिनिदे |
अलगङ्गा जनकुन कर्घ्यपाद्याचमनालु
जलधि शायिकिनि मज्जनमिदे ‖
वरपीताम्बरुनकु वस्त्रालङ्कारमिदॆ
सरि श्रीमन्तुनकु भूषणमु लिवे |
धरणीधरुनकु गन्धपुष्प धूपमुलु
तिरमिदॆ कोटिसूर्यतेजुनकु दीपमु ‖
अमृतमथनुनकु नदिवो नैवेद्यमु
गमि(रवि)जन्द्रुनेत्रुनकु कप्पुरविडॆमु |
अमरिन श्रीवेङ्कटाद्रि मीदि देवुनिकि
तमितो प्रदक्षिणालु दण्डमुलु निविगो ‖