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This stotram is in शुद्ध दॆवनागरी (Samskritam). View this in
सरल दॆवनागरी (हिंन्दी), with simplified anuswaras for easy reading.
अन्नमय्य कीर्तन सकलं हे सखि
सकलं हे\f1 \f0 सखि जानामॆ तत्
प्रकत विलासं परमं दधसे ‖
अलिक मॄग मद मय मषि
कलनौ ज्वलताहे सखि जानामे |
ललितं तव पल्लवि तमनसि नि-
स्चलतर मेघ श्यामं दधसे ‖
चारुकपॊल स्थल कराङ्कित
विचारं हे सखि जानामे |
नारयण महिनायक शयनं
श्रिरमनं तव चित्ते दधसे ‖
घन कुच शैल क्रस्चित विभुमनि
जननं हे सखि जानामे |
कनतुरस वेङ्कट गिरिपति
विनुत भॊग सुख विभवं दधसे ‖
द्\f2