View this in:
This stotram is in सरल दॆवनागरी(हिंन्दी). View this in
शुद्ध दॆवनागरी (Samskritam), with appropriate anuswaras marked.
अन्नमय्य कीर्तन रामुडु राघवुडु
रागं: कानड
रामुडु राघवुडु रविकुलु डितडु |
भूमिजकु पतियैन पुरुष निधानमु ‖
अरय पुत्रकामेष्टि यंदु परमान्नमुन |
परग जनिंचिन पर ब्रह्ममु |
सुरल रक्षिंपग असुरुल शिक्षिंपग |
तिरमै उदयिंचिन दिव्य तेजमु ‖
चिंतिंचे योगींद्रुल चित्त सरोजमुललो |
संततमु निलिचिन साकारमु |
विंतलुगा मुनुलॆल्ल वॆदकिन यट्टि |
कांतुल चॆन्नु मीरिन कैवल्य पदमु ‖
वेद वेदांतमुलयंदु विज्ञान शास्त्रमुलंदु |
पादुकॊन पलिकेटि परमार्धमु |
प्रोदितॊ श्री वेंकटाद्रि पॊंचि विजय नगरान |
आदिकि अनादियैन अर्चावतारमु ‖