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केतु कवचम् ध्यानं । अथ केतु कवचम् । चित्रवर्णः शिरः पातु भालं धूम्रसमद्युतिः । घ्राणं पातु सुवर्णाभश्चिबुकं सिंहिकासुतः । हस्तौ पातु सुरश्रेष्ठः कुक्षिं पातु महाग्रहः । ऊरू पातु महाशीर्षो जानुनी मेऽतिकोपनः । फलश्रुतिः ॥ इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे केतुकवचं सम्पूर्णम् ॥ |