अन्नमय्य कीर्तन ऎंत मात्रमुन
ऎंत मात्रमुन ऎव्वरु तलचिन, अंतमात्रमे नीवु अंतरांतरमुलॆंचि चूड, पिंडंते निप्पटि अन्नट्लु ॥
कॊलुतुरु मिमु वैष्णवुलु, कूरिमितो विष्णुडनि पलुकुदुरु मिमु वेदांतुलु, परब्रह्मंबनुचु ।तलतुरु मिमु शैवुलु, तगिन भक्तुलुनू शिवुडनुचु अलरि पॊगडुदुरु कापालिकुलु, आदि भैरवुडनुचु ।
सरि मिम्मुदुरु साक्तेयुलु, शक्ति रूपु नीवनुचु दरिशनमुलु मिमु नाना विधुलनु, तलुपुल कॊलदुल भजिंतुरु ।सिरुल मिमुने अल्पबुद्दि, तलचिनवारिकि अल्पंबगुदवु दरिमल मिमुने घनमनि तलचिन, घनबुद्धुलकु घनुडवु ॥
नीवलन कॊरते लेदु मरि नीरु कॊलदि तामरवु आवल भागीरधि दरि वागुल आ जलमे ऊरिनयट्लु ।श्री वेंकटपति नीवैते ममु चेकॊनि वुन्न दैव(मु)मनि ईवलने नी शरणनि ऎदनु, इदिये परतत्वमु नाकु ॥
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