अन्नमय्य कीर्तन पवनात्मज ओ घनुडा
ओ पवनात्मज ओ घनुडाबापु बापनगा परिगितिगा ।
ओ हनुमंतुड उदयाचल नि-र्वाहक निज सर्व प्रबला । देहमु मोचिन तॆगुवकु निटुवलॆसाहस मिटुवलॆ चाटितिगा ॥
ओ रवि ग्रहण ओदनुजांतकमारुलेक मति मलसितिगा ।दारुणपु विनता तनयादुलुगारविंप निटु कलिगितिगा ॥
ओ दशमुख हर ओ वेंकटपति-पादसरोरुह पालकुडा ।ई देहमुतो इन्निलोकमुलुनीदेहमॆक्क निलिचितिगा ॥
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