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सुब्रह्मण्य पंच रत्न स्तोत्रम् षडाननं चंदनलेपितांगं महोरसं दिव्यमयूरवाहनम् । जाज्वल्यमानं सुरवृंदवंद्यं कुमार धारातट मंदिरस्थम् । द्विषड्भुजं द्वादशदिव्यनेत्रं त्रयीतनुं शूलमसी दधानम् । सुरारिघोराहवशोभमानं सुरोत्तमं शक्तिधरं कुमारम् । इष्टार्थसिद्धिप्रदमीशपुत्रं इष्टान्नदं भूसुरकामधेनुम् । यः श्लोकपंचमिदं पठतीह भक्त्या |