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शुक्र कवचम् ध्यानम् अथ शुक्रकवचम् पातु मे नासिकां काव्यो वदनं दैत्यवंदितः । भुजौ तेजोनिधिः पातु कुक्षिं पातु मनोव्रजः । कटिं मे पातु विश्वात्मा उरू मे सुरपूजितः । गुल्फौ गुणनिधिः पातु पातु पादौ वरांबरः । फलश्रुतिः ॥ इति श्रीब्रह्मांडपुराणे शुक्रकवचं संपूर्णम् ॥ |