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चंद्र कवचम् अस्य श्री चंद्र कवचस्य । गौतम ऋषिः । अनुष्टुप् छंदः । श्री चंद्रो देवता । चंद्र प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥ ध्यानं समं चतुर्भुजं वंदे केयूर मकुटोज्वलम् । एवं ध्यात्वा जपेन्नित्यं शशिनः कवचं शुभम् ॥ अथ चंद्र कवचम् शशी पातु शिरोदेशं भालं पातु कलानिधिः । प्राणं क्षपकरः पातु मुखं कुमुदबांधवः । करौ सुधाकरः पातु वक्षः पातु निशाकरः । मध्यं पातु सुरश्रेष्ठः कटिं पातु सुधाकरः । अब्धिजः पातु मे जंघे पातु पादौ विधुः सदा । फलश्रुतिः ॥ इति श्रीचंद्र कवचं संपूर्णम् ॥ |