अन्नमय्य कीर्तन रङ्ग रङ्ग रङ्गपति
रागं: सिन्धु भैरव
रङ्ग रङ्ग रङ्ग पति रङ्गनाधा नी ।सिङ्गारालॆ तरचाय श्रि रङ्ग नाधा ॥
पट्ट पगले मातो पलुचग नव्वेवु ।ऒट्टुलेल टलिगिरिञ्चु वडि नी माटलु विण्टॆ ।रट्टडिवि मेरमीरकु रङ्गनाधा ।रङ्गनाधा श्री रङ्गनाधा ॥
कावेटि रङ्गमुन कान्तपै पादालु साचि ।रावु पोवु ऎक्कडिकि रङ्ग नाधा ।श्री वेङ्कटाद्रि मीद चेरि ननु कूडितिवि ।एवल चूचिन नीवेयिट रङ्गनाधा ॥
रङ्गनाधा श्री रङ्गनाधा
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