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Krsna Kirtana Songs est. 2001                                                                                                                                                 www.kksongs.org


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Song Name: Svarupa Bhavato Bhavatv Ayam

Official Name: Mahaprabhorastakam

Author: Visvanatha Cakravarti Thakura

Book Name: Stavamrta Lahari

Language: Sanskrit

 

A

 

LYRICS:

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स्वरूप! भवतो भवत्वयमिति स्मितस्निग्धया

गिरैव रघुनाथमुत्पुलकिगात्रमुल्लासयन्

रहस्युपदिशन्निजप्रणयगूढमुद्रां स्वयं

विराजतु चिराय मे हृदि गौरचन्द्रः प्रभुः

 

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स्वरूप! मम हृद्व्रणं बत विवेद रूपः कथं

लिलेख यदयं पठ त्वमपि तालपत्रेऽक्षरम्

इति प्रणयवेल्लितं विदधदाशु रूपान्तरं

विराजतु चिराय मे हृदि गौरचन्द्रः प्रभुः

 

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स्वरूप! परकीयसत्प्रवरवस्तुनाशेच्छतां

दधज्जन इह त्वया परिचितो वेतीक्षयम्

सनातनमुदित्य विस्मितमुखं महाविस्मितं

विराजतु चिराय मे हृदि गौरचन्द्रः प्रभुः

 

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स्वरूप! हरिनाम यज्जगदघोषयं तेन किं

वाचयितुमप्यथाशकमिमं शिवानन्दजम्

इति स्वपदलेहनैः शिशुमचीकरन्यः कविं

विराजतु चिराय मे हृदि गौरचन्द्रः प्रभुः

 

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स्वरूप! रसरीतिरम्बुजदृशां व्रजे भण्यतां

घनप्रणयमानजा श्रुतियुगं ममोत्कण्ठते

रमा यदिह मानिनी तदपि लोकयेति ब्रुवन्

विराजतु चिराय मे हृदि गौरचन्द्रः प्रभुः

 

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स्वरूप! रसमन्दिरं भवसि मन्मुदामास्पदं

त्वमत्र पुरुषोत्तमे व्रजभुवीव मे वर्तसे

इति स्वपरिरम्भणैः पुलकिनं व्यधात्तं यो

विराजतु चिराय मे हृदि गौरचन्द्रः प्रभुः

 

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स्वरूप! किमपीक्षितं क्व नु विभो निशि स्वप्नतः

प्रभो कथय किं नु तन्नवयुवा वराम्भोधरः

व्यधात्किमयमीक्ष्यते किमु हीत्यगात्तां दशां

विराजतु चिराय मे हृदि गौरचन्द्रः प्रभुः

 

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स्वरूप! मम नेत्रयोः पुरत एव कृष्णो हसन्न्

उपैति करग्रहं बत ददाति हा किं सखे

इति स्खलति धावति श्वसिति घूर्णते यः सदा

विराजतु चिराय मे हृदि गौरचन्द्रः प्रभुः

 

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स्वरूपचरितामृतं किल महाप्रभोरष्टकं

रहस्यतममद्भुतं पठति यः कृती प्रत्यहम्

स्वरूपपरिवारतां नयति तं शचीनन्दनो

घनप्रणयमाधुरीं स्वपदयोः समात्वादयन्

 

UPDATED: January 19, 2017